पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में भले ही कई बाहुबली और माफिया डॉन राजनीति से साइडलाइन कर दिए गए हों लेकिन वे अभी भी बेहद आसानी से सत्ता में बने हुए हैं। ये बाहुबली अपनी अपनी पत्नी या रिश्तेदारों को विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकट दिलवा दे रहे हैं और पर्दे के पीछे से सारा काम खुद ही देख रहे हैं।
इस बार के लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। बिहार में महागठबंधन ने तीन ऐसी महिलाओं को टिकट दिया है जो जिनके पति अतीत में डॉन रह चुके हैं। इन बाहुबलियों को या तो दोषी पाए जाने के बाद चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है या उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए पार्टियों ने उन्हें टिकट नहीं दिया है।
कांग्रेस ने जहां नीलम देवी और वर्तमान सांसद रंजीता रंजन को क्रमश: मुंगेर तथा सुपौल से टिकट दिया है वहीं आरजेडी ने हीना शहाब को सीवान से टिकट दिया है। नीलम जहां मोकामा के डॉन से नेता बने अनंत सिंह की पत्नी हैं वहीं रंजीत रंजन ने मधेपुरा के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से शादी की है। हीना के पति सीवान के पूर्व सांसद और जेल में बंद डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हैं।
अनंत सिंह पटना जिले के मोकामा सीट से तीन बार विधायक रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की आपत्ति के बाद अनंत सिंह ने पत्नी नीलम को चुनाव लड़ाया है। उत्तर बिहार के गैंगस्टर अजय सिंह की पत्नी कविता सीवान जिले के दरौंधा से विधायक बनी हैं। यह सीट गैंगस्टर अजय सिंह के मां के निधन के बाद खाली हो गई थी।
वर्ष 1998 में पप्पू यादव हत्या के आरोप थे लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया। वर्ष 2014 में उन्होंने मधेपुरा से आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इस बार वह इसी सीट निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। इस तरह से बिहार के माफिया डॉन ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। एक राजनेता कहते हैं, ‘दो दशक पहले वे खुद चुनाव लड़ते थे। अब वे पर्दे के पीछे से शासन करना चाहते हैं।’